Feature
   

Nil11th August 2019

किसानों को पशुधन गतिविधियां अपनाने को प्रेरित करेगा 47.50 करोड़ का सेक्स सॉर्टिड सीमन फैसिलिटी सेंटर

प्रदेश में पशुपालन एवं डेयरी गतिविधियों को व्यापक बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि कृषकों को आय के अतिरिक्त साधन प्राप्त हो सके। हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां प्रदेश को पशु पालन एवं डेयरी गतिविधियों के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

प्रदेश में शीघ्र ही 47.50 करोड़ रुपये की लागत से एक सेक्स सॉर्टिड सीमन फैसिलिटी केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की सहायता से स्थापित किए जा रहे इस केन्द्र के लिए स्वीकृति मिल गई है। इस केन्द्र में देसी नस्ल की गाय के ऐसे इंजेक्शन तैयार किए जाएंगे, जिससे केवल मादा बछड़े ही पैदा होंगे, इससे सड़क पर बेसहारा पशुओं की समस्या से भी काफी हद तक छुटकारा मिलेगा तथा किसान पशुधन गतिविधियां अपनाने के प्रति भी प्रेरित होंगे। 

पशु पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि इस केन्द्र को स्थापित करने पर कुल 47.50 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें केंद्र सरकार 90 प्रतिशत सहायता प्रदान करेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार को 10 प्रतिशत धन ही खर्च करना होगा।

प्रदेश में सेक्स सोर्टिड सीमन फैसिलिटी केन्द्र स्थापित करने के लिए कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के लमलैहड़ी में 740 कनाल भूमि का चयन कर लिया गया है। यह सरकारी भूमि है, जिसे पशु पालन विभाग के नाम पर स्थानांतरित किया जाएगा और यहां पर यह स्टेशन स्थापित होगा।

इस वर्ष 30 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रोजेक्ट सेंक्शनिंग कमेटी द्वारा इस सेक्स सोर्टिड सीमन फैसिलिटी स्थापित करने को स्वीकृति प्रदान की गई है।

कृषि का मशीनीकरण होने के बाद खेती में बैलों का प्रयोग काफी कम हो गया है, जिसकी वजह से बछड़े पैदा होने पर लोग उन्हें सड़क पर बेसहारा छोड़ देते हैं। इस सुविधा के मिलने के बाद बेसहारा पशुओं की समस्या से छुटकारा मिलेगा तथा किसानों की फसलों को नुकसान होने से भी बचाया जा सकेगा।

प्रदेश में पशु पालकों को लाभान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने अन्य अनेक कदम उठाए हैं जिनमें गरीबी रेखा से नीचे रह रहे किसानों को 85 प्रतिशत और अन्य किसानों को 60 प्रतिशत उपदान पर बकरियां उपलब्ध करवाई जा रही है। इस योजना के लिए राज्य सरकार ने इस वर्ष के बजट में 6 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राज्य सरकार ने गोकुल मिशन के अंतर्गत 11 करोड़ रुपये की लागत से मुर्रा नस्ल की भैसों का फार्म तथा 34 करोड़ रुपये की लागत से गोकुल गांव स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।

राज्य सरकार ने प्रदेश में दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी डेयरी सहकारी समितियों को चरणबद्ध तरीके से स्वचालित दूध संग्रह इकाई प्रदान की जाएंगी। प्रथम चरण में 40 नई स्वचालित दूध संग्रह इकाइयां तथा मिल्क एनालाईजर सहकारी समितियों को प्रदान की जाएंगी। दुग्ध उत्पादन से जुड़े परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए दूध के खरीद मूल्य को इस वर्ष 2 रुपये प्रतिलीटर बढ़ाया गया है। इसके अतिरिक्त, दूध उत्पादकों की सुविधा के लिए जिला शिमला में दत्तनगर एवं जिला मण्डी में चक्कर में 50,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता के दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।

प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रदेश में दो करोड़ रुपये की लागत से साहिवाल व रेडसिंधी नस्ल की गायों के संरक्षण एवं प्रसार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक आरम्भ की जाएगी। 11 करोड़ रुपये की लागत से साहीवाल व रेडसिंधी पशुधन प्रजनन फार्म स्थापित किया जाएगा।

भेड़ों में इनब्रिडिंग की समस्या से पशु पालकों को छुटकारा दिलाने और ऊन उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए राज्य सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशनके अंतर्गत उन्नत नस्ल की भेड़ों को आयात करने के लिए 8 करोड़ रुपये स्वीकृत किए है। इन सभी प्रयासों से निश्चित तौर पर किसान पशुधन गतिविधियां बढ़ाने के प्रति प्रेरित होंगे और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बदलाव आएगा।

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10452444

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox