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  • पद्मश्री हरिमन शर्मा ने राज्यपाल से भेंट की
  • फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना के लिए 55.51 करोड़ जारीः मुकेश अग्निहोत्री
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना राज्य सरकार का ध्येयः मुख्यमंत्री
  • मुख्यमंत्री से विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों ने भेंट की
  • 15 से 30, जून 2025 तक होगा धरती आबा जन भागीदारी अभियानः जगत सिंह नेगी
  • संसदीय राजभाषा समिति ने राज्यपाल से भेंट की
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  • मुख्यमंत्री से विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों ने भेंट की
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू से आज यहां कंडाघाट क्षेत्र के प्रतिनिधिमंडल, बीएड छात्रों के प्रतिनिधिमंडल, नगर निगम शिमला आजीविका भवन के प्रतिनिधिमंडल और एमबीबीएस व बीडीएस के इच्छुक छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट कर, उन्हें अपनी मांगों से अवगत करवाया।
    मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
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  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना राज्य सरकार का ध्येयः मुख्यमंत्री
    राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा हिमाचल प्रदेश पशु एवं कृषि सखी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज शिमला में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू से भेंट कर, अपनी विभिन्न मांगों से अवगत करवाया।
    मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
    मुख्यमंत्री ने उनसे संवाद करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के ध्येय से कार्य कर रही है। सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए अनेक अभिनव पहल की हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती पद्धति के उत्पादों को विशेष अधिमान दिया जा रहा है। प्रदेश के हिम ईरा व अन्य उत्पाद दूसरे प्रदेशों में बहुत लोकप्रिय हुए हैं।
    उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार दूध, प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं, मक्की और हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री के लिए ई-कॉमर्स ‘हिम-ईरा’ वेबसाइट शुरू की गई है। प्राकृतिक खेती कर रहे प्रदेश के एक लाख 58 हजार से अधिक किसानों को प्रमाणित किया गया है।
    उन्होंने कहा कि प्राकृतिक तरीके से उगाई गई मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये और गेहूं का 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रतिकिलो किया है, जिससे हमारे लाखों किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
    प्रदेश में पहली बार प्राकृतिक हल्दी का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार कच्ची हल्दी 90 रुपये प्रतिकिलो की दर से खरीदने जा रही है, जिसे हिमाचली हल्दी के नाम से बढ़ावा दिया जाएगा।
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  • राज्य सरकार आलू का समर्थन मूल्य घोषित करेगीः मुख्यमंत्री
    प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की जाएगी
    मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय बहु-हितधारक सम्मेलन की अध्यक्षता की
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ने कहा है कि प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ऊना ज़िला में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत आलू प्रसंस्करण संयत्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही आलू का समर्थन मूल्य घोषित करेगी, जिससे किसानों की आर्थिकी को बल मिलेगा।
    मुख्यमंत्री यहां हिमाचल प्रदेश रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बहु-हितधारक परामर्श सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। 
    प्राकृतिक खेती के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आगामी वर्ष अनेक नवीन योजनाएं कार्यान्वित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि असंतुलित भोजन से लोगों में पोषण से संबंधित समस्याआंे में बढ़ौतरी दर्ज की जा रही है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के उत्तरी-पूर्वी राज्यों के बाद हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामलों में सबसे अधिक बढ़ोतरी देखी जा रही है। खान-पान की आदतों में बदलाव भी इसका मुख्य कारण हो सकता है। इसका पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 80 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 14 प्रतिशत योगदान है। वर्तमान में मौसम में जिस प्रकार से प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है, वह कृषि के लिए चिंताजनक है।
    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। सरकार आने वाले समय में प्राकृतिक खेती उत्पादों के समर्थन मूल्य में और बढ़ोतरी करेगी तथा यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।
    श्री सुक्खू ने कहा कि जलवायु सहनशील कृषि, दालें और व्यापक पशुपालन एवं चरवाहों को बढ़ावा, पारंपरिक बीज प्रणाली का अधिक उपयोग, जल सुरक्षा और मृदा संरक्षण पर बल आदि ऐसे कदम हैं जिनके माध्यम से हम इन चुनौतियों का मज़बूती से सामना कर सकते हैं। ऐसे पारंपरिक बीज और फसलें हैं जो कि प्राकृतिक खेती से उगती हैं, पोषण से भरपूर होती हैं तथा पानी की आवश्यकता भी कम रखती है। हमें ऐसी पारंपरिक फसलों को पुनः इस्तेमाल में लाना होगा। इनमें शोध के माध्यम से और सुधार लाना होगा ताकि हम भावी पीढ़ी को पैष्टिक आहार व स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।
    मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्राकृतिक खेती के अनुभवों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती से जुड़े प्रदेश के किसानों की सराहना करते हुए सरकार द्वारा इस दिशा मे किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी।
    पदम श्री नेक राम शर्मा ने मुख्यमंत्री को कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जल, जंगल, जमीन को बचाने सहित मोटे अनाज के महत्त्व पर भी चर्चा की।
    इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, पदम श्री हरिमन, कृषि विशेषज्ञ डॉ. सभ्यसाची दास, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न हितधारक, कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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  • हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देने की आवश्यकताः उद्योग मंत्री


     हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प और हथकरघा निगम लिमिटेड के निदेशक मंडल की 194वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने अधिकारियों को राज्य के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का एक प्रचार वीडियो तैयार करने के निर्देश दिए। इसका उद्देश्य राज्य के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को बड़े स्तर पर बढ़ावा देना है। प्रचार वीडियो को सोशल मीडिया और अन्य नेटवर्क पर अपलोड किया जाएगा।
    उद्योग मंत्री ने राज्य के कारीगरों और बुनकरों को लाभान्वित करने के लिए निगम द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और निर्देश दिए कि निगम की योजनाओं और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि विलुप्त होने के कगार पर पहुंची इस कला का प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिए ताकि राज्य हथकरघा और हस्तशिल्प की विरासत को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने प्रदेश के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री के लिए चंडीगढ़ में शो-विंडो-कम-सेल काउंटर खोलने की संभावना तलाशने के निर्देश दिए। निगम 23.38 करोड़ रुपये की केंद्र प्रायोजित परियोजना, व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस), को क्रियान्वित कर रहा है, जिसकी अवधि तीन वर्ष है।
     वर्ष 2023-24 के दौरान निगम ने 420 कारीगरों को लाभान्वित किया और 340 कारीगरों को उन्नत टूल किट वितरित किए। वर्ष 2024-25 के दौरान निगम ने 840 कारीगरों और बुनकरों को लाभान्वित किया और उन्हें उन्नत टूल किट वितरित किए। दिल्ली, धर्मशाला और मनाली में तीन एम्पोरियम का नवीनीकरण कार्य पूरा हो चुका है और तीन अन्य एम्पोरियम, जिसमें चंबा में दो और शिमला में एक एम्पोरियम शामिल है, का नवीनीकरण कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2025-26 के दौरान, राज्य के लगभग 2500 कारीगरों के लिए 120 डिजाइन और तकनीकी विकास कार्यशालाएं और 20 उद्यमी विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी प्रकार, कारीगरों के उत्पादों की बिक्री के लिए राज्य के भीतर पांच विषयगत प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी, जिसके लिए दो नए एम्पोरियम खोले जाएंगे। निदेशक मंडल ने हिमाचल प्रदेश के कुशल बुनकरों द्वारा विकसित कारीगरी वाले ऊनी कपड़े हिमालयन ट्वीड पर विशेष बल देते हुए हथकरघा उत्पादों के विदेशी और भारतीय बाजारों में विस्तार के लिए निगम के प्रबंध निदेशक को अधिकृत किया।
     निगम की प्रबंध निदेशक डॉ. ऋचा वर्मा ने निगम की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने निदेशक मंडल को बताया कि निगम ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 29.98 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प, हथकरघा और संबद्ध उत्पादों की बिक्री की है। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आर.डी. नजीम, निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस, विशेष सचिव वित्त विजय वर्धन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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  • मुख्यमंत्री ने किन्नौर जिला के शिपकी-ला में सीमा पर्यटन गतिविधियों का शुभारंभ किया



    कैलाश मानसरोवर यात्रा शिपकी-ला से शुरू करने का मामला केंद्र सरकार से उठाएंगेः मुख्यमंत्री

    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज किन्नौर जिला के सीमावर्ती क्षेत्र शिपकी-ला में सीमा पर्यटन गतिविधियों का शुभारम्भ किया।
    इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमा पर्यटन गतिविधियों के आरम्भ होने से पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आर्थिकी भी सशक्त होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने रक्षा मंत्रालय से सीमावर्ती क्षेत्र लेपचा, शिपकी-ला, गिऊ और रानी कंडा में पर्यटन गतिविधियों को अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया था। स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत सीमा पर्यटन गतिविधियों का शुभारम्भ किया गया।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा शिपकी-ला के रास्ते से शुरू करने का मामला केन्द्र सरकार के समक्ष उठाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह स्वयं प्रधानमंत्री से भेंट कर यह विषय उनके सामने प्रस्तुत करेंगे। शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सबसे सुगम मार्ग उपलब्ध होगा।
    उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से भारत चीन व्यापार शिपकी-ला के माध्यम से बंद है। इस दर्रे के माध्यम से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की असीम संभावनाएं हैं। इसे पुनः आरम्भ करने का मामला भी केन्द्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र से हिमाचल स्काउट बटालियन की स्थापना का आग्रह किया है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए विशेष कोटा होगा।
    सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हवाई अड्डा स्थापित करने का मामला भी केन्द्र के समक्ष उठाया जाएगा । राज्य सरकार केन्द्र सरकार से सैन्य और अर्ध सैनिक बलों की इनर लाइन चेक पोस्ट को समाप्त करने का आग्रह करेगी, जिससे वर्तमान में पर्यटकों के लिए परमिट संबंधी बाधा उत्पन्न होती है।
    यात्रा को सरल और पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसके तहत भारतीय सेना और अर्ध सैनिक बलों के साथ सहयोग पर बल दिया जाएगा।
    उन्होंने कहा कि इन कदमों से पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
    उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति जिला से किन्नौर को जोड़ने वाली वांगतू-अटरगू-मुद-भावा दर्रा मार्ग को राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से मंजूरी मिली है। जिससे इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इस सड़क के बनने से शिमला और काजा के बीच दूरी लगभग 100 किलोमीटर कम हो जाएगी।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती सड़कों का केवल सामरिक महत्त्व नहीं है, बल्कि इनका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सम्पर्क सुविधा बढ़ाकर लोगों को लाभ प्रदान  करना है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की कार्य योजना के बारे में उन्होंने भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आई.टी.बी.पी.) से चर्चा की है। आई.टी.बी.पी. के स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से लोगों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है। आई.टी.बी.पी. के विभिन्न हेलीपैड को दूर-दराज क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उपयोग में लाए जाने पर भी चर्चा की गई है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सेना और अर्ध सैनिक बलों के शौर्य पर नाज है। मुख्यमंत्री ने शिपकी-ला में सरहद वन उद्यान का शुभारम्भ भी किया। उन्होंने इंदिरा गांधी प्वाइंट भी विजिट किया।
     राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और सीमा पर्यटन गतिविधियों का शुभारम्भ करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिपकी-ला में पर्यटन संबंधी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने क्षेत्र में हिमाचल पथ परिवहन निगम का ऑन डिमांड बस रूट आरम्भ करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कुशल नेेतृत्व में क्षेत्र में विकास की गति प्रदान की गई है।
    उन्होंने क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
    ग्राम पंचायत नमग्या के प्रधान बलदेव नेगी ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
    इस अवसर पर स्थानीय महिला मंडलों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
    हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेन्द्र श्याम, किनफेड के अध्यक्ष चन्द्र गोपाल नेगी, कमांडिग आफिसर 19, बिहार रेजीमेंट कर्नल नितिन शंकर, कमांडिंग आफिसर ।।, महार कर्नल जी.के. गुंडे, कमांडेंट 43, आई.टी.बी.पी. सुरेन्द्र पंवार उपायुक्त अमित कुमार, पुलिस अधीक्षक अभिषेक एस, सेना, आई.टी.बी.पी., व जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य इस अवसर पर उपस्थित थे।
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  • विक्रमादित्य सिंह ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की



    लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार सायं दिल्ली में केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की। उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटासनी-शिल्हा-बधानी-भूभूजोत-कुल्लू सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का आग्रह किया।
    उन्होंने कहा कि पठानकोट-मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की अत्यंत आवश्यकता है। इससे लगभग 55 किलोमीटर की दूरी भी कम हो जाएगी। यह सड़क एक स्थाई राजमार्ग के रूप में कार्य करेगी जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी सहायता मिलेगी।
    उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से इस परियोजना को मंजूरी देने का आग्रह किया।
    राजनाथ सिंह ने राज्य को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
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