News Flash: समाचार फ़्लैश:
  • कुल्लू जिला में प्रभावित कुल 506 में से 432 पेयजल योजनाएं बहालः उप-मुख्यमंत्री
  • महाविद्यालयों व विद्यालयों में अगले सत्र से बागवानी को व्यावसायिक विषय के रूप में किया जाएगा आरम्भ: शिक्षा मंत्री
  • परिवहन निगम ने 2,250 यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचायाः उप-मुख्यमंत्री
  • लगभग 6000 मणिमहेश यात्रियों को बसों व टैक्सियों के माध्यम से सुरक्षित निकाला गया
  • मुख्यमंत्री ने हालात की समीक्षा की, राहत-बचाव कार्य तेज करने के निर्देश
  • चंबा में 394 पेयजल योजनाएं बहाल, 100 करोड़ का नुकसान: मुकेश अग्निहोत्री
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  • वर्ष 2023 की तुलना में इस बार हुआ कहीं अधिक नुकसान: मुख्यमंत्री
    मुख्यमंत्री ने चम्बा और कांगड़ा जिलों के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया हवाई सर्वेक्षण
    अधिकारियों को राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को जिला चम्बा के भरमौर, मणिमहेश और अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों के साथ-साथ कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी के कारण बाढ़ प्रभावित फतेहपुर और इंदौरा के मंड क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। मुख्यमंत्री पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन से भरमौर के लिए रवाना हुए, लेकिन खराब मौसम के कारण उनका हेलीकॉप्टर वहां उतर नहीं सका।
    चम्बा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा समय पर उठाए गए एहतियाती कदमों के कारण जन जीवन की हानि वर्ष 2023 की तुलना में कम हुई है, लेकिन इस बार विनाश का पैमाना कहीं अधिक है। सड़क, बिजली, पानी आपूर्ति और संचार सेवाएं 2023 की तुलना में अधिक प्रभावित हुई हैं। राज्य सरकार के समक्ष लोगों के पुनर्वास की एक बड़ी चुनौती है, जिसे हम प्रदेशवासियों के सहयोग से पार करेंगे। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित प्रत्येक परिवार के पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार विशेष राहत पैकेज प्रदान करेगी।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह लगातार जमीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। सरकार आपदा प्रभावितों को हर संभव राहत पहुंचाने और चम्बा - भरमौर मार्ग में संपर्क सुविधा बाधित होने के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे लोगों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी चम्बा से पैदल ही भरमौर के लिए रवाना हुए हैं। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए संवेदनशीलता के साथ इस संकट का सामना कर रही है।
    श्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार सड़क संपर्क बहाल करने के लिए तेजी से काम कर रही है। इसके लिए पोकलेन, जेसीबी और अन्य भारी मशीनरी तैनात की गई है। जिला प्रशासन को यथाशीघ्र सड़क संपर्क बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं, हालांकि खराब मौसम राहत और पुनर्स्थापन कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रहा है। भरमौर क्षेत्र में फंसे लोगों की सकुशल वापसी के लिए प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं जो मौसम की अनुकूल परिस्थिति होने पर लोगों को एयरलिफ्ट करेंगे। 
    भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रभावित लोगों की मदद करने के बजाय अफवाहें फैला रहे हैं। भाजपा विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित करने की मांग कर रही है, जबकि 2023 में यही पार्टी विधानसभा सत्र बढ़ाने की मांग कर रही थी। मणिमहेश यात्रा स्थगित करने का निर्णय मौजूदा मौसम की परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है, लेकिन कुछ लोग इस पर भी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है। हमें अपनी देव यात्राओं और मणिमहेश यात्रा पर पूर्ण आस्था है, लेकिन भाजपा नेताओं का इस पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ खड़ी है और राहत एवं बचाव कार्यों को गति दे रही है। उन्होंने राज्य में बार-बार हो रही बादल फटने की घटनाओं के कारणों का अध्ययन करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री के साथ हुई बैठक में उन्होंने केंद्र सरकार से इस विषय पर अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का आग्रह किया है। वैश्विक ऊष्मीकरण और जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती बन रहे हैं और व्यापक तबाही मचा रहे हैं, इसलिए इस समस्या का गहन समाधान तलाशना जरूरी है ताकि अनमोल जीवन को बचाया जा सके।
    श्री सुक्खू ने चम्बा के करियां स्थित एनएचपीसी भवन में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने फंसे हुए लोगों के लिए भोजन, पानी, आश्रय और अन्य आवश्यक सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए कहा। साथ ही जिला प्रशासन को क्षतिग्रस्त सड़कों को प्राथमिकता पर खोलने, विशेषकर चम्बा - भरमौर एनएच-154ए को बहाल करने और बिजली व पेयजल आपूर्ति योजनाओं को अस्थायी तौर पर बहाल करने के भी निर्देश दिए।
    उन्होंने कलसुंई क्षेत्र का दौरा भी किया और श्रद्धालुओं से बातचीत की। कलसुंई से श्रद्धालुओं को नूरपुर और पठानकोट भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गई हैं। शुक्रवार को लगभग 5000 श्रद्धालुओं को कलसुंई से नूरपुर और पठानकोट पहुंचाया गया। जम्मूदृकश्मीर की ओर से आए श्रद्धालुओं को सलूणी से आगे छोड़ने के लिए छोटे वाहनों की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने सलूणी-खुंडिमरल सड़क को शीघ्र बहाल करने के भी निर्देश दिए ताकि किश्तवाड़ और डोडा जिलों से आए श्रद्धालु अपने घर सुरक्षित लौट सकें। उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए एचआरटीसी और निजी संचालकों की अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की गई है।
    इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण चल रहे राहत और पुनर्वास कार्यों की जानकारी उपायुक्त हेमराज बैरवा से ली।
    इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, विधायक नीरज नैयर और सुरेश कुमार, पूर्व मंत्री आशा कुमारी भी उपस्थित थे।
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  • मुख्यमंत्री ने युद्ध स्तर पर राहत और पुनर्वास कार्य संचालित करने के निर्देश दिए
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली से प्रदेश के आपदा प्रभावित चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, कांगड़ा और मंडी ज़िलों के उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से आयोजित बैठक में राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत और विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी शिमला से बैठक में शामिल हुए।
    बैठक में मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन कार्यों के लिए चंबा के भरमौर में तैनात मंडलायुक्त कांगड़ा के साथ-साथ चंबा के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से भी बात की जिन्हें संचालन के लिए भरमौर में तैनात किया गया है। उन्होंने डीआईजी कांगड़ा से भी विस्तारपूर्वक चर्चा की जिन्हें चंबा में तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री ने श्री मणिमहेश यात्रा के श्रद्धालुओं को प्रदान की जा रही राहत तथा भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुए नुकसान की जानकारी भी हासिल की। 
    बैठक में अवगत करवाया गया कि सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है और उनके रहने, खाने और फर्स्ट एड की सुविधा का समुचित प्रावधान किया गया है। 
    मुख्यमंत्री ने चंबा चौगान में रुके हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में अवगत करवाया गया कि चंबा शहर में जियो, एयरटेल व बीएसएनएल की संचार सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। ज़िला कांगड़ा से तीन सेटलाइट फोन चंबा ज़िला के लिए भेजे गए हैं। आज चंबा से भरमौर की ओर सड़क 25 किलोमीटर तक खोल दी गई है।   
    मुख्यमंत्री को प्रभावित ज़िलों में बाधित सड़कों, विद्युत, पेयजल और सिंचाई परियोजनाओं और संचार सेवाओं की वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया गया। 
    उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव अभियान युद्ध स्तर पर चलाने के निर्देश देते हुए कहा कि मौसम पुर्वानुमान के अनुसार आपदा प्रबंधन के लिए पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि भरमौर में फंसे यात्रियों के लिए भोजन व ठहरने के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बीमार और वृद्ध यात्रियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से निकालने के निर्देश दिए। उन्होंने दुर्गम क्षेत्रों में फंसे श्रद्धालुओं के लिए हवाई मार्ग से भोजन पहुंचाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राशन और खाद्य सामग्री का उचित स्टाक और राहत कार्यों के लिए वायु सेना की हवाई सेवा का उपयोग सुनिश्चित किया जाए।  
    मुख्यमंत्री ने कहा कि चंबा व अन्य क्षेत्रों में सड़कें, पेयजल और विद्युत आपूर्ति को बहाल करने के लिए अतिरिक्त मशीनें व पर्याप्त संख्या में श्रम शक्ति की तैनाती की जाए। उन्होंने चंबा ज़िला में सड़कों की बहाली के लिए लोक निर्माण विभाग को स्थानीय अधिकारियों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों से भी अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए।
    मुख्यमंत्री ने कुल्लू और मंडी ज़िला के उपायुक्तों को वैकल्पिक मार्गों से वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त अवरूद्ध मार्गों को खोलने के साथ-साथ पेयजल और विद्युत योजनाओं को शीघ्र बहाल करने के भी निर्देश दिए गए। ज़िला कांगड़ा के बड़ा भंगाल की स्थिति की जानकारी लेते हुए मुख्यमंत्री ने वहां रुके हुए लोगों के लिए हवाई मार्ग से खाद्य तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ के कारण बह गई भूमि का आकलन करने के लिए भी कहा। 
    मुख्यमंत्री ने इंदौरा, फतेहपुर और पौंग डेम में संचालित किए जा रहे पुनर्निर्माण  कार्यों का जायजा लिया। बैठक में जानकारी दी गई कि पौंग डेम का जल स्तर कम हो गया है और बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
    मुख्यमंत्री ने ज़िला लाहौल-स्पीति प्रशासन को सिस्सु में फंसे पर्यटकों को आज शाम तक निकाल कर उनकी वापसी सुनिश्चित करने को कहा। बैठक में यह अवगत करवाया गया है कि सिस्सु में फंसे सभी 380 पर्यटकों को आज शाम सुरक्षित निकाल लिया गया है। ज़िला उपायुक्त ने जानकारी दी कि क्षेत्र में जियो और एयरटेल की संचार सेवाएं बहाल कर दी गई हैं और अन्य नेटवर्क बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई स्थानों मंे विद्युत आपूर्ति को बहाल कर दिया गया है और थिरोट विद्युत उप-केन्द्र में बिजली का उत्पादन आरम्भ हो गया है।  
    श्री सुक्खू ने मुख्य सचिव को राहत एवं पुनर्वास कार्यों के बेहतर संचालन के लिए ज़िला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने को कहा। 
    बैठक में जानकारी दी गई कि पठानकोट-चंबा मार्ग को सभी प्रकार के वाहनों के लिए खोल दिया गया है। छोटे वाहन कमांद कटोला मार्ग से कुल्लू की ओर जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ज़िला प्रशासन को निर्देश दिए कि वैकल्पिक मार्गों से छोटे वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की जाए और बड़े वाहनों को सड़कों की बहाली तक मंडी में ही रोक दिया जाए। कुल्लू-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग-3 छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, मंडी में मंडी-सरकाघाट वाया बसाही-धर्मपुर को छोड़कर सभी प्रमुख सड़कों को बहाल कर दिया गया है। 
    मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि वह स्वयं राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए समुचित कदम उठाए जा रहे हैं। 
    प्रधान सचिव, सचिव, ज़िला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में भाग लिया। 
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  • मुख्यमंत्री ने बायोचार कार्यक्रम का शुभारंभ किया
    स्टेट स्पोर्टिड बायोचार कार्यक्रम संचालित करने में देश का पहला राज्य बना हिमाचल
    नेरी में छह महीने के भीतर बायोचार संयंत्र स्थापित किया जाएगाः मुख्यमंत्री
    शिमला में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित
     
    हिमाचल प्रदेश में देश का पहला स्टेट स्पोर्टिड बायोचार कार्यक्रम आरम्भ किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत हमीरपुर जिला के नेरी में छह महीने के भीतर एक बायोचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
    इस संबंध में आज ओक ओवर, शिमला में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की उपस्थिति में डॉ. वाई एस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, हिमाचल प्रदेश वन विभाग और प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक उल्लेखनीय कदम है। यह परियोजना जंगल में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने में सहायक सिद्ध होगी, इससे समुदायों के लिए आजीविका के अवसर और जागरूकता भी बढ़ेगी।
    कार्यक्रम के अंतर्गत चीड़ की पत्तियां, लैंटाना, बांस और पेड़-पौधों पर आधारित अन्य सामग्री से पैदा बायोमास का उपयोग करके बायोचार का उत्पादन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर और सोलन ज़िला और चीड़ बहुल क्षेत्रों के लोगों को लाभान्वित करने के लिए समझौता ज्ञापन को छह महीने के भीतर लागू किया जाए। इस पहल से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और राज्य को कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। सतत बायोमास संग्रहण के लिए प्रोक्लाइम, वन विभाग के माध्यम से, स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। लोगों को एकत्रित बायोमास के लिए 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, गुणवत्ता और मात्रा बनाए रखने के लिए प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी प्रदान किए जाएंगे।
    बायोमास संग्रहण के इस कार्यक्रम केे माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 50,000 श्रम दिवस आय उत्पन्न होने की संभावना है। परियोजना से प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे। संरक्षित संग्रहण पद्धतियों, कृषि में बायोचार के उपयोग और जलवायु परिवर्तन पर विश्वविद्यालय की साझेदारी में कौशल विकास कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम 10 साल तक संचालित किया जाएगा। इस अवधि के दौरान 28,800 कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिससे हिमाचल प्रदेश की हरित पहलों को प्रोत्साहन मिलेगा।
    इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत, वनों में लगने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाने, लैंटाना के उन्मूलन और पायरोलिसिस तकनीक के माध्यम से बायोचार के उत्पादन के लिए चीड़ की पत्तियों, बांस और अन्य बायोमास अवशेषों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त प्रारूप तैयार किया गया है। यह पहल मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने, कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्बन क्रेडिट और बायोमास संग्रहण एवं कौशल विकास के माध्यम से स्थानीय आजीविका के अवसर पैदा करेगी। प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड इस परियोजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन में एक मिलियन अमेरिकी डॉलर तक निवेश करेगी।
    वन विभाग सामुदायिक भागीदारी के साथ सतत बायोमास संग्रहण का समन्वय और निगरानी, आवश्यक परमिट और रियायतें और वन एवं पर्यावरण नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करेगा। विश्वविद्यालय संयंत्र और भंडारण सुविधाओं के लिए नेरी, हमीरपुर में लगभग तीन एकड़ भूमि उपलब्ध करवाएगा। इसके अतिरिक्त, आवश्यक अनुमोदनों के लिए सहयोग और कृषि में बायोचार अनुप्रयोगों पर अनुसंधान करेगा। 
    वन और कृषि-आधारित बायोमास से प्राप्त बायोचार का उपयोग कृषि, धातु विज्ञान और अन्य उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है। प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बायोचार उत्पादन, कार्बन क्रेडिट सृजन और जलवायु परिवर्तन शमन परियोजनाओं में विशेषज्ञता से परिपूर्ण कंपनी है। यह कंपनी इस परियोजना की स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक पूंजी निवेश करेगी।
    इस अवसर पर विधायक सुरेश कुमार, नगर निगम के महापौर सुरेन्द्र चौहान,  अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन संजय सूद, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश्वर ठाकुर और कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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  • राज्यपाल ने सिपुर में पौधरोपण अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का आह्वान किया

    राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज शिमला जिला के मशोबरा ब्लॉक के सिपुर में हिमाचल प्रदेश राज्य रेडक्रॉस सोसायटी और वन विभाग के संयुक्त तत्वाधान से आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर, राज्यपाल ने पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त संदेश देते हुए देवदार का पौधा रोपित किया।
    इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपनी हरी-भरी घाटियों, बर्फ से ढकी चोटियों और नदियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, राज्य ने भूस्खलन, अचानक बाढ़ और बादल फटने जैसी गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है। उन्होंने कहा कि धरती पर घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाएं हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाती हैं। वनों का अनियंत्रित कटान, जल संसाधनों का प्रदूषण और अनियोजित विकास के कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है।
    उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत पौधरोपण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह एक जीवन रक्षक पहल है। उन्होंने कहा कि पौधरोपण के माध्यम से हम मिट्टी और जल का संरक्षण सुनिश्चित करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण करते हैं।
    इस अवसर पर राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मशोबरा के विद्यार्थियों द्वारा प्रधानाचार्या अनीता गुप्ता के मार्गदर्शन में लगभग 120 पौधे लगाए गए। वन अधिकारियों, रेडक्रॉस सदस्यों और स्थानीय लोगों ने भी पौधरोपण अभियान में भाग लिया।
    इससे पहले, राज्यपाल ने सिपुर स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की।
    राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा और मुख्य अरण्यपाल के. थिरुमल ने राज्यपाल का स्वागत किया।
    इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त प्रियांशु, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रतन नेगी, जिला अधिकारी, रेडक्रॉस सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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  • राज्यपाल ने ‘आषाढ़ का प्रथम दिवस’ पुस्तक का विमोचन किया
    राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज राजभवन में हिमाचल प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के प्रबंध निदेशक पृथी पाल सिंह की पुस्तक ‘आषाढ़ का प्रथम दिवस’ का विमोचन किया।
    यह पुस्तक महाकवि कालिदास की अमर रचना मेघदूत का काव्यात्मक हिंदी रूपांतरण है। इस अनुवाद के माध्यम से लेखक ने कालिदास के कालातीत सौंदर्य, कल्पनाशीलता और भावनात्मक गहराई को समकालीन भाषा में पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है, जिससे यह पाठकों, विशेषकर विद्यार्थियों और युवाओं के लिए और अधिक सुलभ हो सके।
    इस पुस्तक की प्रस्तावना हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रख्यात लेखक शांता कुमार ने लिखी है जिन्होंने इसे एक उत्कृष्ट साहित्यिक प्रयास बताया है। इसका आवरण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित लघुचित्र कलाकार चंबा निवासी पद्मश्री विजय शर्मा द्वारा डिजाइन किया गया है, जो इस प्रकाशन को एक अनूठा कलात्मक आयाम प्रदान करता है।
    इस अवसर राज्यपाल ने कहा कि कालिदास की रचनाएं भारतीय साहित्य और संस्कृति की आत्मा हैं। मेघदूत को काव्यात्मक हिंदी में प्रस्तुत करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो न केवल कालिदास की रचनात्मक दृष्टि को पुनर्जीवित करती है, बल्कि पाठकों, विद्वानों और विद्यार्थियों को एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान करती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक साहित्य जगत में एक बहुमूल्य योगदान देगी।
    पृथी पाल सिंह ने कहा कि यह पुस्कत गहन अध्ययन और दीर्घकालिक साहित्यिक रुचि का परिणाम है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘आषाढ़ का प्रथम दिवस’ पाठकों में वही सौंदर्यात्मक आनंद और भावनाएं जगाएगी जो कालिदास की उत्कृष्ट कृति के मूल में निहित है।
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  • राज्यपाल ने कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की

    राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राजभवन शिमला में राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, पद्म विभूषण कल्याण सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह में पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
    राज्यपाल नेे कहा कि कल्याण सिंह द्वारा राष्ट्र, समाज और जनकल्याण के लिए योगदान हमेशा याद किया जाएगा और देशवासियों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलती रहेगी।
    इस अवसर पर दो मिनट का मौन भी रखा गया।
    राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी भी श्रद्धांजलि समारोह में उपस्थित थे।
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