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  • एचआईवी और सिफलिस के वर्टिकल्स ट्रांसमिशन के उन्मूलन पर बैठक आयोजित
  • उप-मुख्यमंत्री ने एचआरटीसी और बीएसएमडीए निदेशक मंडल की बैठक की अध्यक्षता की
  • सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्धः मुख्यमंत्री
  • हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय
  • मादक पदार्थों के दुरूपयोग पर शून्य सहिष्णुता नीति अपना रही प्रदेश सरकारः मुख्यमंत्री
  • उद्योग मंत्री ने की बल्क ड्रग पार्क की उच्च स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता
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  • मादक पदार्थों के दुरूपयोग पर शून्य सहिष्णुता नीति अपना रही प्रदेश सरकारः मुख्यमंत्री
    पुलिस भर्ती में ‘चिट्टा’ टेस्ट होगा अनिवार्य 
    हर जिले में खुलेंगे नशा मुक्ति केंद्र, 14.95 करोड़ की योजना मंजूर
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की विस्तार से समीक्षा की गई। इस संबंध में पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और स्वास्थ्य विभागों ने विस्तृत प्रस्तुतियां दीं। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार नशे के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति (जीरो टॉलरेंस) अपना रही है और युवाओं को नशे की चपेट में आने से बचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने नशा नेटवर्क को तोड़ने के लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
    मंत्रिमंडल ने पुलिस भर्ती में अब ‘चिट्टा’ (सिंथेटिक ड्रग) का डोप टेस्ट अनिवार्य करने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त, सभी नए सरकारी कर्मचारियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वे ‘चिट्टा’ का सेवन नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री ने नशे से जुड़े मामलों में संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये।
    बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में ड्रग्स के दुरूपयोग की स्थिति नियंत्रण में है। एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की संख्या कुल मामलों का नौ प्रतिशत है, जो कि पंजाब के 20 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 45 मामले दर्ज किए गए हैं और नशे से जुड़े लोगों की 42.22 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। इसके अतिरिक्त, पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट के तहत 44 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
    स्वास्थ्य विभाग को नशा मुक्ति के लिए प्रशिक्षण, जागरूकता, इलाज, परामर्श, पुनर्वास आदि गतिविधियों को और सशक्त बनाने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में कुल्लू, हमीरपुर, नूरपुर और ऊना में पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। अब सभी जिला मुख्यालयों में ऐसे केंद्र स्थापित करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की राज्य कार्य योजना के अंतर्गत 14.95 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की जा रही है।
    मुख्यमंत्री ने महिला मंडलों, युवक मंडलों, पंचायती राज संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों और शिक्षा विभाग को भी नशे के खिलाफ जन जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से शामिल करने के निर्देश दिए।
    उन्होंने सभी विभागों से समन्वय के साथ कार्य करते हुए नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित रूप से निगरानी बढ़ाने पर भी बल दिया ताकि अन्य राज्यों से नशे की तस्करी पर रोक लगाई जा सके।
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  • हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 31 दिसंबर 2024 तक 12 वर्ष या उससे अधिक की सेवा अवधि पूर्ण कर चुके 1,386 पात्र जल रक्षकों (वाटर गार्ड्स) को जल शक्ति विभाग में पंप अटेंडेंट के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया गया।
    प्रदेश मंत्रिमंडल ने वर्ष 2025 के लिए मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के अंतर्गत 12 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सेब की खरीद को मंजूरी प्रदान की है। इसके अतिरिक्त योजना के अंतर्गत बी और सी ग्रेड के किन्नू, माल्टा और संतरे को 12 रुपये प्रति किलोग्राम, गलगल 10 रुपये प्रति किलोग्राम और सीडलिंग, कलमी और कच्चा अचारी आम 12 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदने का भी निर्णय लिया गया है।
    मंत्रिमंडल ने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास संबंधी मंत्रिमंडलीय उप-समिति की सिफारिशों को भी मंजूरी प्रदान की। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में उप-समिति का गठन राज्य की आपदा तैयारी और पुनर्वास तंत्र को सुदृढ़ बनाने के उपायों की जांच और सुझाव देने के लिए किया गया था। उप-समिति ने राज्य भर में भवनों के संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट करवाने की सिफारिश की है ताकि उनकी आपदा सहनशीलता का आकलन किया जा सके। ऑडिट के आधार पर, आपदाओं के दृष्टिगत संरचनात्मक क्षति के जोखिम को कम करने के लिए रेट्रोफिटिंग उपाय किए जाएंगे। आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अधोसंरचना के महत्व पर बल देते हुए, समिति ने प्रदेश में भूकंप-रोधी निर्माण कार्यों को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है। आपदा प्रतिक्रिया की दक्षता बढ़ाने के लिए, उप-समिति ने होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन सेवाओं और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) को हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) के आपदा प्रबंधन सेल के साथ एकीकृत करने का भी सुझाव दिया है, जिसका उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों के दौरान समन्वित और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।
    मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिला के देहरा स्थित बनखंडी में दुर्गेश-अरण्य प्राणी उद्यान के विकास के प्रथम चरण के अंतर्गत 325 वृक्षों के स्थानांतरण (ट्रांसलोकेशन) को भी मंजूरी दी।
    मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिला के देहरा में एक नया क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) खोलने और इसके सुचारू संचालन के लिए आवश्यक पद सृजित कर भरने का निर्णय लिया। 
    बैठक में प्रदेश के जिला अस्पतालों और चयनित आदर्श स्वास्थ्य संस्थानों में कीमोथेरेपी के लिए 18 डे केयर सेंटरों को उपकरणों से लैस और स्तरोन्नयन करने की मंजूरी प्रदान की गई। इस पहल का उद्देश्य कैंसर रोगियों को उनके जिला में ही सुलभ उपचार प्रदान करना है, जिससे उन्हें उपचार के लिए चिकित्सा महाविद्यालयों या राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी, इससे मरीजों और उनके परिवारों के समय और धन दोनों की बचत होगी।
    मंत्रिमंडल ने कुल्लू जिला के नागरिक अस्पताल तेगुबेहड़ में 50 बिस्तरों की क्षमता केे क्रिटिकल केयर ब्लॉक और एक जिला एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला की स्थापना कर महत्त्वपूर्ण मशीनों से लैस करने को भी मंजूरी दी। इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने सिविल अस्पताल मनाली, क्षेत्रीय अस्पताल सोलन, सिविल अस्पताल पांवटा, सिविल अस्पताल देहरा, क्षेत्रीय अस्पताल रिकांगपिओ और डॉ. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, हमीरपुर में क्रिटिकल केयर ब्लॉकों के लिए चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति को मंजूरी दी। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन, सिविल अस्पताल पांवटा, सिविल अस्पताल देहरा और सिविल अस्पताल नगरोटा बगवां में जिला एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं के लिए उपकरण आपूर्ति को भी मंजूरी दी गई।
    इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने नाहन, नालागढ़, मौहल और रोहड़ू में नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के साथ-साथ हमीरपुर जिले के जलाड़ी में एक नया मिल्क चिलिंग सेंटर और ऊना जिले के झलेरा में एक बल्क मिल्क कूलर स्थापित करने को भी मंजूरी दी। दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, हिमाचल प्रदेश दुग्ध संघ में उद्यम संसाधन नियोजन (ईआरपी) सॉफ्टवेयर प्रणाली लागू करने का भी निर्णय लिया गया। इससे संघ के संचालन का डिजिटलीकरण होगा और किसानों को मोबाइल फोन के माध्यम से सभी आवश्यक जानकारियां आसानी से उपलब्ध होगी।
    इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने प्रदेश के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विभिन्न शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों के युक्तिकरण को भी मंजूरी दी।
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  • सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्धः मुख्यमंत्री
     भाजपा सांसदों से आपदा प्रभावितों के हित में केंद्र से मुद्दा उठाने का किया आग्रह 
     
    सेब उत्पादक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में आज यहां मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भेंट कर उन्हें संघ की विभिन्न मांगों और समस्याओं से अवगत करवाया। 
    मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों, बागवानों और सेब उत्पादकों के साथ है और उनकी सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही सेब उत्पादकों को राहत दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुकी है। 
    ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बाद सेब उत्पादकों के एक भी पेड़ को काटने नहीं दिया जाएगा। करसोग तथा कुल्लू घाटी में न्यायालय के आदेश के उपरांत हुई कथित पेड़ कटान की जांच के लिए वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं।
     मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर वे केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के समक्ष भी प्रदेश का पक्ष रखेंगे। प्रदेश सरकार संबंधित मामलों पर चर्चा कर एक नीति बनाएगी, ताकि सेब उत्पादकों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित हो सके।
     मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से भूमिहीन हो चुके आपदा प्रभावित परिवारों को एक से पांच बीघा भूमि आबंटित करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि राज्य का 68 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र में आता है इसलिए पुनर्वास के लिए वन मानकों में ढील देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रदेश के सभी भाजपा सांसदों से भी केंद्र सरकार के समक्ष इस मामले को प्रभावी ढंग से रखने का आग्रह किया गया है। 
    राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी सेब उत्पादकों को सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं और हर संभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पौंग बांध विस्थापितों की तर्ज पर इन प्रभावितों को भी वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत राहत प्रदान करने पर विचार किया जा सकता है। 
    पूर्व महापौर संजय चौहान और सीपीएम नेता डॉ. कुलदीप सिंह तंवर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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  • राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को आपदा से प्रदेश को हुए नुकसान और नशा मुक्त हिमाचल अभियान की जानकारी दी
    राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को राज्य की विकासात्मक पहलों, प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश को हुए नुकसान और नशा मुक्त हिमाचल अभियान की प्रगति से अवगत करवाया। 
    राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को इस वर्ष मानसून के कारण मंडी जिला में बादल फटने और भूस्खलन से हुए व्यापक नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि इन आपदाओं के कारण प्रभावितों के घर और कृषि भूमि का भारी नुकसान हुआ है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि पुनर्वास कार्य सुनिश्चित करने के लिए प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
    राज्य स्तरीय नशामुक्त हिमाचल अभियान के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी देते हुए राज्यपाल ने बताया कि इस अभियान को पंचायत स्तर तक लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों के सेवन के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त राज्य बनाने के प्रयास में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
    राज्यपाल ने हाल ही में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ का विवरण साझा किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वर्ष-2047 तक नशा मुक्त समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
    उन्होंने सम्मेलन में अपनाए गए ‘काशी घोषणा पत्र’ के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र में अनुसार मादक द्रव्यों के सेवन के प्रभाव पर समावेशी दृष्टिकोण को अपनाया गया है। इसके अनुसार यह न केवल एक आपराधिक या कानूनी मामला है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण की दृष्टि से भी एक गंभीर चुनौती है। यह घोषणा पत्र मादक द्रव्यों के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकार और समाज के बीच साझे प्रयासों की वकालत करता है।
     राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि नशा मुक्त भारत अभियान के तहत काशी घोषणा पत्र के सिद्धांतों को गंभीरता से लागू किया जाएगा।
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  • हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में आपदा प्रभावित परिवारों के लिए विशेष राहत पैकेज प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इस पैकेज के अंतर्गत पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकान के लिए दी जाने वाली 1.30 लाख रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकान के लिए 12,500 रुपये की राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। इसी प्रकार, क्षतिग्रस्त दुकान अथवा ढाबे के लिए दी जा रही 10,000 रुपये की राशि को भी बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है।
    गौशाला के क्षतिग्रस्त होने पर अब 10,000 रुपये के स्थान पर 50,000 रुपये और किरायेदारों को सामान की हानि पर 50,000 रुपये तथा मकान मालिक को 70,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। बड़े दुधारू पशुओं की हानि पर अब 37,500 रुपये के बजाय 55,000 रुपये प्रति पशु की दर से मुआवजा दिया जाएगा, जबकि बकरी, सूअर, भेड़ व मेमने के नुकसान पर दी जाने वाली राशि 4,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति पशु कर दी गई है।
    पूरी तरह क्षतिग्रस्त पॉलीहाउस के लिए 25,000 रुपये और मकान से गाद हटाने के लिए 50,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। कृषि व बागवानी भूमि के नुकसान पर मुआवजा 3,900 रुपये प्रति बीघा से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति बीघा कर दिया गया है। गाद हटाने के लिए सहायता 1,500 रुपये प्रति बीघा से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति बीघा की गई है। फसल नुकसान पर मुआवजा 500 रुपये प्रति बीघा से बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति बीघा कर दिया गया है।
    मंत्रिमंडल ने प्रदेश में हाल ही में आई आपदा के कारण हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया। मंत्रिमंडल ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा इस कठिन समय में प्रभावित लोगों के साथ एकजुटता प्रकट की। मंत्रिमंडल ने राहत एवं पुनर्वास कार्यों में बहुमूल्य सहयोग देने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, राज्य पुलिस, होम गार्ड्स, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा अन्य व्यक्तियों के प्रति आभार व्यक्त किया। बैठक में आपदा और उससे निपटने के उपायों पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी गई।
    मंत्रिमंडल ने मंडी जिले के सराज क्षेत्र में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा राजस्व मंत्री के साथ अभद्रता और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति अनादर की घटना की कड़ी निंदा की। मंत्रिमंडल ने आमजन से आपदा राहत कोष में उदारतापूर्वक योगदान देने की अपील की, ताकि प्रभावित परिवारों की सहायता की जा सके।
    बैठक में ‘राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना’ को स्वीकृति दी, जिसका उद्देश्य समुदाय आधारित दृष्टिकोण से वनों के संरक्षण और विकास को सुदृढ़ करना है। यह योजना राज्य में पांच वर्षों में 100 करोड़ रुपये की लागत से लागू की जाएगी। इसमें महिला मंडलों, युवक मंडलों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य पंजीकृत सामुदायिक समूहों को वनीकरण गतिविधियों में शामिल किया जाएगा। प्रति हेक्टेयर वृक्षारोपण पर प्रत्येक समूह को 1.20 लाख रुपये तक की सहायता मिलेगी। यदि भूमि एक हेक्टेयर से कम है, तो सहायता आनुपातिक रूप से दी जाएगी। पौधों के जीवित रहने की दर के आधार पर अतिरिक्त 1.20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
    बैठक में हिमाचल प्रदेश नगरपालिका चुनाव नियम, 2015 में संशोधन को स्वीकृति दी गई, ताकि चुनावों के दौरान आ रही व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके। नियम-9 में वार्डों के अंतिम प्रकाशन के लिए एक मानक प्रारूप लागू किया गया है। नियम-27 और 28 में संशोधन कर प्रावधान जोड़ा गया है कि नियम-35 के तहत चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित होने के बाद मतदाता सूची में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, नियम-35(3) में संशोधन कर चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करने का अधिकार अब उपायुक्त के बजाय राज्य चुनाव आयोग को दिया गया है। आयोग द्वारा नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि से कम से कम सात दिन पूर्व अधिसूचना जारी की जाएगी। नियम-88 में संशोधन कर नामित सदस्यों को निर्वाचित सदस्यों के साथ संविधान की शपथ लेने की अनुमति दी गई है।
    मंत्रिमंडल ने बीएससी लेबोरेटरी टैक्निक, बीएससी रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग और बीएससी एनेस्थीसिया एंड ऑपरेशन थियेटर कोर्स मंे सीटें बढ़ाने को कार्याेत्तर स्वीकृति प्रदान की। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला मेें सीटों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में 18 से बढ़ाकर 50 करने का निर्णय लिया गया है। 
    बैठक में जिला शिमला के रोहडू़ तहसील के मेंहदली में दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए हिमाचल प्रदेश मिल्कफैड के पक्ष में भूमि आवंटन करने को स्वीकृति प्रदान की गई।
    मंत्रिमंडल ने प्री-बीआईएस, बीएस-प् और बीएस- प्प् उत्सर्जन मानकों में आने वाले वाहनों को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा के माध्यम से स्क्रैप करने वाले मालिकों को मोटर वाहन कर में 50 प्रतिशत छूट देने को मंजूरी दी है।
    रोगी देखभाल में सुधार के लिए मंत्रिमंडल ने आईजीएमसी शिमला के रेडियोथेरेपी विभाग के अन्तर्गत पैन एंड पैलिएटिव केयर सेल में विभिन्न श्रेणियों के आठ पदों को सृजित कर इन्हें भरने को स्वीकृति प्रदान की। 
    बैठक मेें हमीरपुर जिले के धनेटा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने का निर्णय लिया गया। साथ ही इसके प्रभावी संचालन के लिए आवश्यक पदों को सृजित कर भरने को भी स्वीकृति प्रदान की गई।
    शिमला जिले में पुलिस स्टेशन सुन्नी के अन्तर्गत खैरा में नई पुलिस चौकी खोलने तथा इसके सुचारू संचालन के लिए आवश्यक पदों को सृजित कर भरने का भी निर्णय लिया गया है।
    मंत्रिमंडल ने प्रशासनिक दक्षता और पुलिस व्यवस्था को बेहतर बनाने के दृष्टिगत जिला चंबा के अन्तर्गत पुलिस चौकी हतली का कार्य क्षेत्र पुलिस स्टेशन चुवाड¬़ी से हटाकर पुलिस स्टेशन सिहुंता करने का निर्णय लिया। 
    बैठक में जिला मंडी मंे रत्ती-नागचला विशेष क्षेत्र और नेरचौक योजना क्षेत्र के पुनर्गठन को स्वीकृति प्रदान की गई। 
    मंत्रिमंडल ने जिला कांगड़ा में नगर पंचायत जवाली को नगर परिषद में स्तरोन्नत करने का निर्णय लिया।
    बैठक में जिला शिमला में नगर परिषद सुन्नी को नगर पंचायत के रूप में पुनवर्गीकृत करने का निर्णय लिया गया और इसके अधिकार क्षेत्र से कुछ क्षेत्रों को बाहर करने को भी स्वीकृति दी गई। 
    मंत्रिमंडल ने स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए जिला सोलन में नई खोली गई उप-तहसील लौहारघाट का कार्यक्षेत्र उप-मंडल अर्की से हटाकर उप-मंडल नालागढ़ स्थानातंरित करने का निर्णय लिया।
    बैठक में राज्य सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिश के अनुसार 15 कैदियों की समय से पूर्व रिहाई को भी मंजूरी दी गई। बशर्ते उनकी रिहाई के बाद आचरण संतोषजनक रहे। ऐसा निर्णय प्रदेश में पहली बार लिया गया है।
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  • राज्यपाल ने ‘मिस्टिक विलेज’ का दौरा किया
    पुखरी की प्राकृतिक खूबसूरती व समृद्ध संस्कृति को सराहा
     
    राज्यपाल ने मिस्टिक विलेज खजियार (पुखरी) का दौरा किया तथा गांव की प्राकृतिक खूबसूरती व समृद्ध संस्कृति से अत्यंत प्रभावित हुए। लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी उनके साथ उपस्थित थीं। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि पुखरी गांव की प्राकृतिक सुन्दरता व स्वच्छ वातावरण पर्यटन की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के अन्य विख्यात पर्यटन क्षेत्रों की तुलना में कहीं बेहतर है। उन्होंने जिला प्रशासन चंबा तथा पर्यटन विभाग द्वारा जिला चंबा के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। 
    राज्यपाल ने कहा कि स्वच्छ वातावरण तथा पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत रिस्पांसिबल टूरिज्म वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस गांव में पर्यटकों को ठहरने के लिए होमस्टे के तहत उचित व्यवस्था है तथा यहां का प्राकृतिक व शुद्ध वातावरण स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इस प्रकार के प्राकृतिक रूप से खूबसूरत गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देने से न केवल ग्रामीण लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी, बल्कि इससे प्रदेश की समृद्ध संस्कृति देश और दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचेगी। 
    राज्यपाल ने कहा कि मिस्टिक विलेज खजियार में आवाजाही की सुविधाओं को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां की प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेते हुए यहां के लोगों की आर्थिक मजबूती का माध्यम बन सकें। उन्होंने आश्वासन दिया की मिस्टिक विलेज खजियार में पर्यटन सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण तथा आवाजाही की सुविधा को और बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार व केंद्रीय वन मंत्रालय के ध्यान में इस क्षेत्र की समस्या को लाया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न माध्यमों व मंचों से प्रदेश सरकार के ध्यान में भी ग्रामीण पर्यटन व्यवसाय से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों को लाया जाना आवश्यक है।
    राज्यपाल ने कहा अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेला-2025 की प्रथम सांस्कृतिक संध्या के अवसर पर आईसीआरटी इंडिया फाउंडेशन तथा जिला प्रशासन चंबा के मध्य जो समझौता ज्ञापन हस्ताक्षतिर किया गया है उससे आने वाले समय में जिला चंबा के अनेक अनछुए पर्यटन गंतव्यों में पर्यटन विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी तथा जिला के लोगों की पर्यटन से संबंधित व्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से आर्थिकी सुदृढ़ होगी। 
    इससे पूर्व स्थानीय ग्रामीणों ने राज्यपाल का अपने गांव पहुंचने पर विधिवत स्वागत किया व उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में ग्रामीणों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
    इस अवसर पर स्थानीय विधायक नीरज नैयर ने भी अपने विचार रखे तथा उन्होंने राज्यपाल का जिला चंबा के इस दूरदराज गांव में पहुंचने के लिए आभार व्यक्त किया।
    विधायक डॉ. हंस राज और डी.एस. ठाकुर, राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, उपायुक्त मुकेश रेपसवाल, पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव, जिला पर्यटन अधिकारी राजीव मिश्रा, अधिशासी अभियंता विद्युत विभाग प्रवेश ठाकुर और ग्राम पंचायत सिंगी के उप-प्रधान अजय शर्मा सहित अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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